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Wednesday, May 6, 2020

“परमेश्वर के विषय में शास्त्र क्या बताते हैं ?

प्रभु - स्वामी - ईश - राम - खुदा - अल्लाह - रब - मालिक - साहेब - देव - भगवान
- गौड। यह सर्व शक्ति बोधक शब्द हैं जो भिन्न-भिन्न भाषाओं में उच्चारण किए व
लिखे जाते हैं।

‘‘प्रभु‘‘ की महिमा से प्रत्येक प्राणी प्रभावित है कि कोई शक्ति है जो परम
सुखदायक व कष्ट निवारक है। वह कौन है? कैसा है? कहाँ है? कैसे मिलता है? यह
प्रश्नवाचक चिन्ह अभी तक पूर्ण रूप से नहीं हट पाया। यह शंका इस पुस्तक से पूर्ण
रूप से समाप्त हो जाएगी।
जो शक्ति अन्धे को आँखें प्रदान करे, गूंगे को आवाज, बहरे को कानों से श्रवण
करवा दे, बाँझ को पुत्रा दे, निर्धन को धनवान बना दे, रोगी को स्वस्थ करे, जिस के
यदि दर्शन हो जायें तो अति आनन्द हो, जो सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार, पूर्ण
शान्तिदायक जगत गुरु तथा सर्वज्ञ है, जिसकी आज्ञा बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता
अर्थात् सर्वशक्तिमान जिसके सामने कुछ भी असम्भव नहीं है। ऐसे गुण जिसमें है वह
वास्तव में प्रभु (स्वामी, ईश, राम, भगवान, खुदा, अल्लाह, रहीम, मालिक, रब,
गौड) कहलाता है।
यहाँ पर एक बात विशेष विचारणीय है कि किसी भी शक्ति का ज्ञान किसी शास्त्रा
से ही होता है। उसी शास्त्रा के आधार पर गुरुजन अपने अनुयाइयों को मार्गदर्शन
करते हैं। वह शास्त्रा (धार्मिक पुस्तकें) हैं चारों वेद (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद,
अथर्ववेद), श्री मद् भागवत गीता, श्री मद् भागवत सुधासागर, अठारह पुराण,
महाभारत, बाईबल, कुरान आदि प्रमाणित पवित्रा शास्त्रा ह

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