जो स्वयं आत्मा को नहीं जानते वे दूसरों को आत्मा पाने का गुर बताते हैं। तरह-तरह के प्रलोभन देकर धन कमाने के लिए शिष्यों की संख्या बढ़ाते हैं। जिसके बाड़े में जितने अधिक शिष्य हों वह उतना ही बड़ा और सिद्ध गुरु कहलाता है। मूर्ख भोली-भाली जनता इनके पीछे-पीछे भागती है और दान-दक्षिणा देती है। ऐसे धन-लोलुप अज्ञानी और पाखंडी गुरुओं से हमें सदा सावधान रहना चाहिए।
सतगुरु वेदों तथा शास्त्रों के ज्ञान से परिपूर्ण होता है स्वयं ही परमात्मा होता है वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज एक पूर्ण सतगुरु है जो तत्वज्ञान के आधार पर मानव समाज को सत भक्ति प्रदान कर रहे हैं
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