Holy scriptures

Friday, June 26, 2020

Drug free world

नशा
मदिरा (शराब) पीना कितना पाप है :- शराब पीने वाले को सत्तर जन्म कुत्तेके भोगने पड़ते है। मल-मूत्रा खाता-पीता फिरता है। अन्य कष्ट भी बहुत सारे भोगने पड़ते हैं तथा शराब शरीर में भी बहुत हानि करती है। शरीर के चार महत्वपूर्ण
अंग होते हैं। फेफड़े, लीवर, गुर्दे तथा हृदय। शराब इन चारों को क्षति पहुँचाती है। शराब पीकर मानव, मानव न रह कर पशु तुल्य गतिविधि करने लगता है। कीचड़ में गिर जाना, कपड़ों में मलमूत्रा तथा वमन कर देना। धन हानि, मान हानि, घर में अशांति आदि मदिरा पान के कारण होते है।मदिरा सत्ययुग में प्रयोग नहीं होती। सत्ययुग में सर्व मानव परमात्मा के विद्यान से परिचित होते हैं। जिस कारण सुख का जीवन व्यतीत करते हैं।
गरीब : मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म स्वान के जानी!
Drug intoxication
नशे का क्षणिक इलाज-
आजकल नशे की बीमारी को दूर करने के लिए सरकारे अनेक प्रकार के यत्न कर रही है।जैसे -नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना अनेक प्रकार के जागरूक अभियान चलाकर युवाओ से नशे को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन फिर भी कोई सुधार नही दिख रहा है। अनेक प्रकार के धर्मगुरुओ के द्वारा भी  काफी प्रयास किए जा रहे हैं  लेकिन फिर भी  मानव समाज  नशे से मुक्त नहीं हो पा रहा है
नशे का संपूर्ण इलाज 

 नशे का संपूर्ण इलाज  सत भक्ति के द्वारा ही किया जा सकता है और आज विश्व में  सतभक्ति केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकता है और वह तत्वदर्शी संत इस विश्व में संत रामपाल जी महाराज है जिन्होंने तत्वज्ञान के आधार पर अनेक युवाओं को  नशे से मुक्त कर दिया तथा सत भक्ति से उनके जीवन को नई दिशा दी है  प्रत्येक मानव समाज से निवेदन है  संत रामपाल जी महाराज का तत्वज्ञान सुने और नशे से मुक्त होकर अपने जीवन का कल्याण करवाएं

No comments:

Post a Comment

Drug free world

नशा मदिरा (शराब) पीना कितना पाप है :- शराब पीने वाले को सत्तर जन्म कुत्तेके भोगने पड़ते है। मल-मूत्रा खाता-पीता फिरता है। अन्य कष्ट भी बह...