Holy scriptures

Sunday, May 31, 2020

कबीर साहिब की समर्थता

 जैसा कि वर्णित है कबीर साहेब जी को 52 कसनी (52 बदमाशी) दी गयी। फिर भी उनका कुछ नहीं हुआ क्योंकि कबीर साहेब जी अविनाशी थे।लगभग 600 साल पहले जब परमेश्वर कबीर साहेब जीवों का उद्धार करने के लिए धरती पर आये तो पाखंडवाद का विरोध किया और सद्ग्रंथो में वर्णित सत्यभक्ति का प्रकाश फैलाया। हिन्दु धर्म में प्रचलित पाखंड पूजाएं, शास्त्र विरुद्ध साधनाओं और मुस्लिम धर्म में प्रचलित जीव हत्या का कबीर परमात्मा ने पुरजोर विरोध किया। उस समय परमात्मा के 64 लाख शिष्य हुए। दोनों धर्मों के और सभी वर्गों के व्यक्तियों ने परमेश्वर कबीर साहेब से उपदेश प्राप्त किया क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब के आशीर्वाद से सभी के दुखों का अंत हो जाता था। उन्ही शिष्यों में से एक था दिल्ली का सुल्तान सिकंदर लोधी।
सिकंदर लोधी के जलन का रोग था जिसका इलाज वो हर पीर फ़कीर से करवा कर थक चुका था। उसका वो रोग परमात्मा कबीर साहेब जी की शरण में आने के बाद ही ठीक हुआ था। उसी के सामने कबीर परमात्मा ने स्वामी रामानंद जी और एक मृत गाय को जीवित किया थ। तब से सिकंदर लोधी, कबीर साहेब जी को अल्लाह मानता था। इस कारण से सिकंदर लोधी का धार्मिक गुरु शेख तकि कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था । कबीर साहेब को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने कई बार उन्हें मरवाने की नाकाम कोशिश की।52 कसनी (बदमाशी) में से मख्य यातनाएंशेखतकी ने कबीर साहेब जी को 52 तरह की यातनाएं दीं थी, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित है.

उबलते तेल के कड़ाहे में डालना

शेख तकि ने हज़ारों मुसलमानों को इकठ्ठा करके कहा कि हम कबीर को उबलते तेल की कढ़ाही में डालेंगे। अगर ये नहीं मरा तो मान लेंगे कि ये अल्लाह है। तेल कि कढ़ाही को उबालकर कबीर साहेब को बुलाया गया। कबीर परमात्मा उबलते तेल के कढ़ाहे में स्वयं ही विराजमान हो गए। सभी इस इंतज़ार में थे कि कबीर साहेब जल जाएंगे पर परमात्मा खौलते हुए तेल में आराम से बैठे रहे और सबको दर्शा दिया कि वो अविनाशी हैं पर शेख तकि कबीर साहेब से माफ़ी मांगने कि बजाए उनसे और ज्यादा ईर्ष्या करने लगा और फिर उसने कबीर साहेब को मरवाने के लिए अगली योजना बनाई।

झेरे कुएं में डालना
अपनी अगली योजना के तहत शेख तकि कबीर साहेब को बांध कर ले गया और ले जा कर एक गहरे झेरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को मिट्टी, गोबर, कांटे आदि डाल कर 150 फ़ीट ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तकि सिकंदर लोधी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठा देखकर शेख तकि गुस्से से जल भुन गया फिर भी कबीर जी को परमात्मा नहीं माना।
तलवार से कटवा कर मारने की कोशिश
गुस्से में शेख तकि ने कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर टुकड़े टुकड़े करने की ठानी। इस कुकृत्य के लिए शेख तकि ने कुछ गुंडे तैयार किये। जब परमेश्वर कबीर साहेब जी रात्रि में सोने की लीला कर रहे थे उस समय शेख तकि उन गुंडों के साथ परमात्मा की कुटिया में आया और कबीर परमात्मा पर तलवारों से अंधाधुंध वार किये। जब कबीर साहेब को मृत जानकार सभी वहां से जाने लगे तभी कबीर परमेश्वर उठ खड़े हुए। उनको भूत समझकर सभी गुंडे और शेख तकि डर कर वहां से भाग गए।

खूनी हाथी से मरवाने की चेष्टा

इसी तरह कबीर परमात्मा को ख़त्म करने के लिए हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बहुत से प्रयास किये। बादशाह सिकंदर लोधी से उनकी झूठी शिकायतें करके उनको कई बार सज़ा करवाने की कोशिश की गयी। ऐसे ही एक बार सिकंदर लोधी ने कबीर साहेब को हाथी से कुचलवाने की सजा दी। कबीर परमात्मा जी के हाथ पाँव बांध कर उन्हें एक मदोन्मत खूनी हाथी के आगे डाल दिया गया पर जब हाथी कबीर परमात्मा को मारने के लिए आगे बढ़ा तो उसे परमात्मा के स्थान पर एक बब्बर शेर दिखाई दिया। सिकंदर लोधी को भी परमात्मा का विराट रूप दिखाई दिया। हाथी अपनी जान बचा कर भाग गया तथा राजा भी थर्र थर्र काँपता हुआ नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम किया।

गंगा में डुबो कर मारने की कोशिश

जब ये प्रयास भी सफल न हुआ तो कबीर जी को गंगा में डुबो कर मारने की कोशिश की गयी। उनके हाथ पांव बांध कर उन्हें गंगा में डाल दिया गया पर सर्व शक्तिमान कबीर परमेश्वर जल के ऊपर आराम से बैठे रहे। जब कबीर साहेब नहीं डूबे तो चार पहर तक उनके ऊपर गोलियां और तोपों की बारिश की गयी। सबने अपने परम पिता परमात्मा पर पत्थर बरसाए। पर परमेश्वर कबीर साहेब को कोई हानि नहीं पहुंची। तब कबीर साहेब वहां से अंतर्ध्यान हो गए और अपनी कुटिया में प्रकट हो गए।
इस प्रकार परमात्मा कबीर साहेब को 52 कसनी दी गयी अर्थात उन्हें 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी पर परमात्मा को कोई हानि नहीं पहुंची क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी हैं।वर्तमान में कबीर साहेब के नुमाइंदे संत रामपाल जी महाराज जी हैं। उन्होंने कबीर साहेब द्वारा दिया गया दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान उजागर कर दिया और जिस तरह से कबीर साहेब को परेशान किया गया उसी तरह से आज संत रामपाल जी महाराज को परेशान किया जा रहा है लेकिन पूर्ण गुरु होने के कारण उनका कुछ कोई नहीं बिगाड़ सका और उनका ज्ञान लगातार फैल रहा है। आप भी संत रामपाल जी महाराज के दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के लिए जरूर देखें साधना TV रात 7:30 pm से.

Friday, May 29, 2020

कबीर प्रकट दिवस

परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में नामांतर करके शिशु रूप में प्रकट होते हैं और एक-एक शिष्य बनाते हैं जिससे कबीर पंथ का प्रचार होता है।
सतयुग - सहते जी
त्रेता - बंके जी
द्वापर - चतुर्भुज जी
कलियुग - धर्मदास जी
कलयुग में कबीर परमेश्वर अपने वास्तविक नाम कबीर रूप में काशी नगरी में लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर अवतरित हुए।
कलयुग में निसंतान दंपति नीरू और नीमा ने उनका पालन पोषण किया।
परमेश्वर कबीर जी त्रेतायुग में ऋषि मुनीन्द्र जी के रूप में लीला करने आए तब हनुमान जी से मिले। तथा सतलोक के बारे में बताया हनुमानजी को विश्वास हुआ कि ये परमेश्वर हैं। सत्यलोक सुख का स्थान है। परमेश्वर मुनीन्द्र जी से दीक्षा ली। अपना जीवन धन्य किया। मुक्ति के अधिकारी हुए।
द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ।
पांडवों की अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि, महर्षि, मंडलेश्वर  उपस्थित थे यहां तक कि भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे फिर भी उनका शंख नहीं बजा।
कबीर परमेश्वर ने सुदर्शन सुपच वाल्मीकि के रूप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया।
गरीबदास जी महाराज की वाणी में इसका प्रमाण है
"गरीब सुपच रुप धरि आईया, सतगुरु पुरुष कबीर, तीन लोक की मेदनी, सुर नर मुनि जन भीर"

Tuesday, May 26, 2020

Complete guru

There is a saying that “water is drunk and Guru is alive”. The true Guru is like God. That is why it has been said that 'Guru-Govind Dau Khadi Kaake Implan Pya, Balihari Guru Apne Jin Govind Deo Milay'. That means more importance is given to Guru than God. If the Guru does not show the way, then we cannot reach God. Therefore, on finding the true Guru, surrender everything at his feet. Follow his teachings literally and bring them to life. All human beings should awaken this supreme master sitting within them. This is the meaning of Guru Poornima and with this respect your guru.

Those who do not know the soul themselves, tell others the tricks to get the soul. Increasing the number of disciples to earn money by giving various temptations. The more disciples in the enclosure, the larger and more perfect the teacher is called. The foolish innocent people run after them and give alms. We should always beware of such money-rich ignorant and hypocritical gurus.
Satguru is full of knowledge of Vedas and scriptures

At present, Sant Rampal Ji Maharaj is a complete Satguru who is giving true devotion to human society on the basis of philosophy.

Complete guru

कहावत है कि ‘पानी पीजै छान के और गुरु कीजै जान के।’ सच्चा गुरु ही भगवान तुल्य है। इसीलिए कहा गया है कि ‘गुरु-गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपनो जिन गोविंद दियो मिलाय।’ यानी भगवान से भी अधिक महत्व गुरु को दिया गया है। यदि गुरु रास्ता न बताये तो हम भगवान तक नहीं पहुंच सकते। अतः सच्चा गुरु मिलने पर उनके चरणों में सब कुछ न्यौछावर कर दीजिये। उनके उपदेशों को अक्षरशः मानिये और जीवन में उतारिये। सभी मनुष्य अपने भीतर बैठे इस परम गुरु को जगायें। यही गुरु-पूर्णिमा की सार्थकता है तथा इसी के साथ अपने गुरु का भी सम्मान करें।

जो स्वयं आत्मा को नहीं जानते वे दूसरों को आत्मा पाने का गुर बताते हैं। तरह-तरह के प्रलोभन देकर धन कमाने के लिए शिष्यों की संख्या बढ़ाते हैं। जिसके बाड़े में जितने अधिक शिष्य हों वह उतना ही बड़ा और सिद्ध गुरु कहलाता है। मूर्ख भोली-भाली जनता इनके पीछे-पीछे भागती है और दान-दक्षिणा देती है। ऐसे धन-लोलुप अज्ञानी और पाखंडी गुरुओं से हमें सदा सावधान रहना चाहिए।

सतगुरु   वेदों तथा शास्त्रों के ज्ञान से परिपूर्ण होता है  स्वयं ही  परमात्मा होता है  वर्तमान समय में  संत रामपाल जी महाराज एक पूर्ण सतगुरु है  जो  तत्वज्ञान के आधार पर  मानव समाज को  सत भक्ति प्रदान कर रहे हैं

Wednesday, May 20, 2020

मानव का उत्थान

 मनुष्य का मन ही उसके उत्थान और पतन का कारण है। मन एक मदमस्त हाथी की तरह है, जिसे पूर्ण सद्गुरु के ब्रह्मज्ञान रूपी अंकुश से वश में किया जा सकता है। अगर मनुष्य का मन स्थिर हो जाए तो तमाम समस्याओं और परेशानियों का भी अंत हो जाएगा।
 मन हवा के प्रबल वेग की तरह है। हवा उपवन का संग करती है तो सुवासित होकर अपने संपर्क में आने वालों को महकाती है। अगर हवा को गंदगी का साथ मिलता है तो दुर्गध और बीमारियां ही फैलाती है। उन्होंने कहा कि चंचल मन होने के कारण मनुष्य की इच्छाएं बढ़ती जाती हैं। मनुष्य को समझना होगा इच्छाएं पूरी होना और आवश्यकता पूरी होना, दोनों अलग-अलग हैं।
जीवन का कोई ऐसा पक्ष नहीं, जिसकी उदात्त व्याख्या वेदों में न हो। , जहां लोग शान्ति और प्रेम के साथ रहते हों, एक-दूसरे के सहयोगी हों। सबका लक्ष्य एक हो, एक दूसरे से मधुर वचन बोलते हों। संत रामपाल जी महाराजकहते है कि ऐसा समाज मानव को उच्च सफलता की ओर अग्रसर होने में सहायक होता है।

Wednesday, May 13, 2020

शिक्षा का खराब स्तर

शिक्षा का स्तर अत्यधिक खराब होने के कारण युवा पीढ़ी को पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया है, वह इसके पीछे इतना दीवाना है, कि उसे कुछ सूझता ही नहीं है. वह अपने माता-पिता के प्रेम को भुला बैठा है. अपनी पत्नी से भी देह तक ही सम्बंध रख पाता है, सारा दिन पैसे-पैसे करता है, उसी के पीछे भागता है. पैसा भी उसको नादान समझ कर उतना ही दूर भागता है. भारतीयता के बिना लक्ष्मी कैसे आ सकती हैं, और टिक सकती हैं. हमारे शास्त्रों में स्पष्ट रूप में कहा गया है कि विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता प्राप्त होती है और पात्रता से धन प्राप्त होता है, और  इस प्रकार से धन कमाने के बाद ही वह धन सुख का कारक बनता है, यदि आप अवलोकन करें, तो यह बात पूरी तरह साफ हो जाती है कि इस प्रकार से धनागम कुछ विरले लोगों के यहॉं हो रहा है और सच्चे मायने में वही सुखी हैं. क्‍योंकि उन्हें संतोष धन मिल गया है.

शिक्षा जीवन जीने की कला है. किन्तु हम कला के नाम पर कुछ नहीं सीखते हैं. जो लोग पढ़ार्इ न सीख कर कोर्इ हुनर सीख लेते हैं, वे हर मामले में काफी आगे देखे जाते हैं. आजकल व्यवसाय में जो लोग आगे हैं, वे इसी प्रकार की कला में पारंगत लोग हैं.
इस प्रकार आज हमें अपनी शिक्षा पद्धति के दोषों को निकाल कर अपनी भारतीयता और वास्तविकता को समाहित करने की जरूरत है. 
जिससे आज जो समस्यायें युवा पीढ़ी के सामने आ रही है, सर्वप्रथम हमें युवा पीढ़ी को अपने सद ग्रंथों से परिचित करवाना होगा जिससे उनमें नई ऊर्जा का संचार होगा और युवा पीढ़ी अनेक प्रकार  की बुराइयों को त्याग देगी वह सद्भक्ति अपना कर अपने जीवन को सफल कर सकती है वर्तमान समय में अनेक युवा संत रामपाल जी महाराज के तत्व ज्ञान से परिचित होकर एक सफल जीवन की ओर अग्रसर हो रहे हैं

सच्चा भगवान कौन है

 सच्चा भगवान कौन है सच्चा भगवान वह होता है जो हमारे घोर से घोर पाप को नष्ट कर देता है  हमें जन्म मृत्यु के दीर्घ रोग से छुड़वा देता है यदि हमारी मौत भी लिखी है अर्थात हमारे प्रारब्ध के कर्म को  वह सच्चा भगवान काट देता है सच्चे भगवान की खोज करने से पहले सर्वप्रथम हमें पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता होती है पूर्ण सतगुरु वह होता है जो वेदों तथा शास्त्रों के आधार पर शास्त्र विधि अनुसार साधना बताता है और पूर्ण सतगुरु ही हमें पूर्ण परमात्मा के मार्ग पर अग्रसर करता है अतः सर्वप्रथम सच्चे भगवान की खोज करने से पहले हमें पूर्ण गुरु की खोज करनी होगी 

यदि हम यह जानना चाहते हैं कि सच्चा भगवान कौन है तो जो पूर्ण सतगुरु बताएं उस पर
विश्वास रखो , उसे करना जारी रखो , और वो तुम्हे वहाँ ले जाएगा जहाँ तुम्हे जाने कि  जरूरत है ।


Friday, May 8, 2020

Cancer



यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्रा 13 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा पापी से भी पापी
व्यक्तियों के भी सम्पूर्ण पापों का नाश करके भयंकर रोगां से भी मुक्त कर देते हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा वेदों तथा शास्त्रों के आधार पर बताई गई शास्त्र विधि अनुसार साधना करने से साधक के घोर से घोर पाप  व रोग नष्ट हो जाते हैं



‘‘सतगुरु शरण में आने से आई टलै बला, जै भाग्य में मृत्यु हो कांटे में टल जा’’

Thursday, May 7, 2020

नशा करता है नाश

सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करै भोगै पर नारी।
सत्तर जन्म कटत हैं शिशम्, साक्षी साहिब है जगदीशम्।।

पर द्वारा  स्त्री का खोलै, सत्तर जन्म अन्धा हो डोलै।
सौ नारी जारी करै, सुरापान सौ बार। एक चिलम हुक्का भरे, डूबै काली धार।।

जैसे कि ऊपर वर्णन किया है कि एक बार शराब पीने वाला सत्तर जन्म कुत्ते
का जीवन भोगता है। फिर मल-मूत्र खाता-पीता फिरता है। पर स्त्री गमन करने
वाला सत्तर जन्म अन्धे के भोगता है। मांस खाने वाला भी महाकष्ट का भागी होता

Wednesday, May 6, 2020

“परमेश्वर के विषय में शास्त्र क्या बताते हैं ?

प्रभु - स्वामी - ईश - राम - खुदा - अल्लाह - रब - मालिक - साहेब - देव - भगवान
- गौड। यह सर्व शक्ति बोधक शब्द हैं जो भिन्न-भिन्न भाषाओं में उच्चारण किए व
लिखे जाते हैं।

‘‘प्रभु‘‘ की महिमा से प्रत्येक प्राणी प्रभावित है कि कोई शक्ति है जो परम
सुखदायक व कष्ट निवारक है। वह कौन है? कैसा है? कहाँ है? कैसे मिलता है? यह
प्रश्नवाचक चिन्ह अभी तक पूर्ण रूप से नहीं हट पाया। यह शंका इस पुस्तक से पूर्ण
रूप से समाप्त हो जाएगी।
जो शक्ति अन्धे को आँखें प्रदान करे, गूंगे को आवाज, बहरे को कानों से श्रवण
करवा दे, बाँझ को पुत्रा दे, निर्धन को धनवान बना दे, रोगी को स्वस्थ करे, जिस के
यदि दर्शन हो जायें तो अति आनन्द हो, जो सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार, पूर्ण
शान्तिदायक जगत गुरु तथा सर्वज्ञ है, जिसकी आज्ञा बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता
अर्थात् सर्वशक्तिमान जिसके सामने कुछ भी असम्भव नहीं है। ऐसे गुण जिसमें है वह
वास्तव में प्रभु (स्वामी, ईश, राम, भगवान, खुदा, अल्लाह, रहीम, मालिक, रब,
गौड) कहलाता है।
यहाँ पर एक बात विशेष विचारणीय है कि किसी भी शक्ति का ज्ञान किसी शास्त्रा
से ही होता है। उसी शास्त्रा के आधार पर गुरुजन अपने अनुयाइयों को मार्गदर्शन
करते हैं। वह शास्त्रा (धार्मिक पुस्तकें) हैं चारों वेद (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद,
अथर्ववेद), श्री मद् भागवत गीता, श्री मद् भागवत सुधासागर, अठारह पुराण,
महाभारत, बाईबल, कुरान आदि प्रमाणित पवित्रा शास्त्रा ह

Drug free world

नशा मदिरा (शराब) पीना कितना पाप है :- शराब पीने वाले को सत्तर जन्म कुत्तेके भोगने पड़ते है। मल-मूत्रा खाता-पीता फिरता है। अन्य कष्ट भी बह...