सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करै भोगै पर नारी।
सत्तर जन्म कटत हैं शिशम्, साक्षी साहिब है जगदीशम्।।
पर द्वारा स्त्री का खोलै, सत्तर जन्म अन्धा हो डोलै।
सौ नारी जारी करै, सुरापान सौ बार। एक चिलम हुक्का भरे, डूबै काली धार।।
जैसे कि ऊपर वर्णन किया है कि एक बार शराब पीने वाला सत्तर जन्म कुत्ते
का जीवन भोगता है। फिर मल-मूत्र खाता-पीता फिरता है। पर स्त्री गमन करने
वाला सत्तर जन्म अन्धे के भोगता है। मांस खाने वाला भी महाकष्ट का भागी होता
ह
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